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मुझे गर्व है- विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता भारत में रही जो अपने काल परिधि में चरम तक पहुँच कर क्रमानुसार काल मे समाहित हो गई. लेकिन कोई भी सभ्यता शीघ्र ही फलित नहीं होती , उसके बनने में मनुष्य का विवेक , आकांक्षा, व उसकी कल्पना शक्ति का मिश्रण होता है.
अपनी इन्हीं शक्तियों के इस्तेमाल के लिये उसे मेहनत रूपी ईंधन की आवश्यकता पड़ती है, जब कोई भी मनुष्य अपने अथक प्रयास व श्रम के माध्यम से अपने व्यक्तित्व व ज्ञान (कोई भी उपलब्धि) को अर्जित करने का प्रयास करता है तो उसको अनेक तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. ये अवरोध उसी प्रकार है जिस प्रकार इन अवरोधों में भी हमको मित्र, परिवार, समाज से सहायता प्राप्त होती रहती है , यही छोटी छोटी मदद कभी कभी रिक्तियों को भरने का कार्य करती हैं.
अगर गणितीय चेत से समझा जाए तो ये तमाम अवरोध उन तमाम छोटे सहायताओं के सामने नगण्य प्रतीत होते हैं.
महत्वपूर्ण यह नहीं है कि ये अवरोध नगण्य है , महत्वपूर्ण यह कि अंततः जब जीत का स्वाद मिले तो उसमें पान की तरह परिपक्वता की लालिमा चमकती रहनी चाहिए.
मेरे ऐसे सुलझे व जिद्दी मित्रों पर - मुझे गर्व है.
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