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लघुकथा #02

चुनावी परिणाम प्रमुख जी के पक्ष में नहीं था, लेकिन प्रमुख जी को नेतृत्व करने का अधिकार जन्म से मिला था। एक दिन प्रमुख जी के मन में आया कि क्यों ना कुत्तों से वोटिंग कराई जाए, क्योंकि समाज में सिर्फ इंसान ही तो रहते नहीं। लेकिन दस्तावेजधारक ने उनसे बोला - "सर कुत्तो की जात कैसे पहचान होगी? कुत्ते सिर्फ रोटी के लिए लड़ते हैं"

लघुकथा #01

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मैं समझाना तो बहुत चाहता था, मगर ना जाने क्यों कुछ बोल नहीं पा रहा था. अश्कों को तो कब का किसी को बेचा हुआ कह दिया था। बुरा उनका गुस्सा होना नहीं, शायद उनका लापरवाह होना लग रहा था , बहुत हिम्मत कर के बोलने की कोशिश की तब तक फोन कट गया । उनके ख़ंजर से शब्द की तरह वो भी चले गए मुझे बींध कर, इसी घबड़ाहट से ना जाने कब मेरी नींद खुल गई। नींद के खुलने के साथ खुद को ज़ोर से काटा..... काश ये सच में सपना ही होता।