शर्मा जी की कार

शर्मा जी लाए एक नई कार
झट लगा दिए निज द्वार
देख वर्मा जी थे गरमाए
थे आए जो कुछ हिस्से उनके द्वार

मन ही मन स्नेह जताया

अ दिलो दिमाग जब भर आया
तब रौद्र स्वर में चिल्लाया


दो (2) इंच मात्र कम है
इसमें तुम्हे न जाने क्या गम है
अच्छे से जब नापा-तोला
तब कहीं ये शर्मा ने बोला

फिर तो ऐसा बना नज़रा था
मानो इंफिनिटी वॉर (infinity war )
 हो रहा दोबारा था
अरे हद तो तब हो गई
जब दोनों के साथ
घरवाली का सहारा था

लेकिन बात यहीं थमी नहीं

जा याचिका तक दर्ज कराई
न्याय की ऊपर तक गुहार लगाई
बरी कराना था वो दो (2) इंच
मिठाई थी इसी वश खिलाई

बड़ी बड़ी जान-पहचान  बताई थी
लेकिन महीनों फाइल ऊपर न आई थी
निकाल न्योछावर और भेट दिए
क्योंकि रिवाज पूरी न निभाई थी

सफल रिवाजों का ही परिणाम था
जो लग गया तारीखों का अंबार था

पैर की गर्मी दिमाग को जब चढ़ गई
तब कहीं बात घर कर गई
कार मात्र ही खड़ी की है
किसी नाम रजिस्ट्री थोड़े हो गई

परन्तु हो गई थी काफी देर

जज भी सन्न , सुन ये कुरान
बुला लिया गया
कम्पनी का सुलेमान
कहा इसमें न मेरी कोई खता है
डिज़ाइनर मात्र का दोष है
ये जिम्मा उसी के कोष है

आया डिज़ाइनर , दि उसने भी सफाई थी
घूम बात (केस) जज को मुस्कुराई थी
कहा मेरी न कोई कमी है
कागजों पर (licence) मुहर आपने ही लगाई थी

किया फैसला खत्म की सुनवाई
आदेश हुआ , बड़े गौर सबको सुनाई
कार का डिजाइन बदलो
पीछे से दो(2) इंच कतरो (tapering off/ cut)

आपस मे जब हम लड़ जाते है
तकलीफ होती उनको
जो हमारे लिए मिट जाते है
गर रहे याद एक बात
मनोबल जिस दिन उनका टूट जाएगा
भारत महान का स्वप्न भी झूठ हो जाएगा।







टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अंत में......

भाषा के तकनीकिकरण में सांस्कृतिक चुनौतियाँ

प्रकृति से आध्यात्म