जब तुम माँ को समझ पाओगे.....
न कुछ सोच पाओगे
न कुछ बोल पाओगे
ये कलम भी दम तोड़ देगी
जब तुम माँ को समझ पाओगे
दुनिया के सारे सुख छोड़ आओगे
भागते हुए सीधे माँ के पास आओगे
और पैसे का कोई मोल नहीं,
ये भी तुम समझ जाओगे
जब तुम माँ को समझ पाओगे
सारी थकान मिट जाएगी
जिस शाम माँ की गोद मे लेट जाओगे
रेस्टूरेंट का स्वाद भी याद न आएगा
जब निवाला तुम माँ के हाथ का खाओगे
जब तुम माँ को समझ पाओगे
सारी मुसीबत धूल के कण नज़र आएगी
जब जब माँ को ध्यान में लाओगे
सात समन्दर की गहराई नाप लोगे
लेकिन माँ की ममता न भाँप पाओगे
जब तुम माँ को समझ जाओगे।
न कुछ बोल पाओगे
ये कलम भी दम तोड़ देगी
जब तुम माँ को समझ पाओगे
दुनिया के सारे सुख छोड़ आओगे
भागते हुए सीधे माँ के पास आओगे
और पैसे का कोई मोल नहीं,
ये भी तुम समझ जाओगे
जब तुम माँ को समझ पाओगे
सारी थकान मिट जाएगी
जिस शाम माँ की गोद मे लेट जाओगे
रेस्टूरेंट का स्वाद भी याद न आएगा
जब निवाला तुम माँ के हाथ का खाओगे
जब तुम माँ को समझ पाओगे
सारी मुसीबत धूल के कण नज़र आएगी
जब जब माँ को ध्यान में लाओगे
सात समन्दर की गहराई नाप लोगे
लेकिन माँ की ममता न भाँप पाओगे
जब तुम माँ को समझ जाओगे।
Really impressive and I m impressed bro..👏👏👍👌
जवाब देंहटाएंThese lines r really good..and as we know no lines can exactly define the love we get from our mother..🙏
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना
जवाब देंहटाएंअति सुंदर 👌
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