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जब तुम माँ को समझ पाओगे.....

न कुछ सोच पाओगे न कुछ बोल पाओगे ये कलम भी दम तोड़ देगी जब तुम माँ को समझ पाओगे दुनिया के सारे सुख छोड़ आओगे भागते हुए सीधे माँ के पास आओगे और पैसे का कोई मोल नहीं, ये भी तुम समझ जाओगे जब तुम माँ को समझ पाओगे सारी थकान मिट जाएगी जिस शाम माँ की गोद मे लेट जाओगे रेस्टूरेंट का स्वाद भी याद न आएगा जब निवाला तुम माँ के हाथ का खाओगे जब तुम माँ को समझ पाओगे सारी मुसीबत धूल के कण नज़र आएगी जब जब माँ को ध्यान में लाओगे सात समन्दर की गहराई नाप लोगे लेकिन माँ की ममता न भाँप पाओगे जब तुम माँ को समझ जाओगे।