एक तरफा शिक्षा
तब अभिलाष कि उम्र महज 5 वर्ष की ही थी, उसके पिता (रंगलाल ) गाँव मे अधिया के खेती से अपना व अपने परिवार का भरण- पोषण करते थे, लेकिन घर की ज़रूरत और बच्चे की उम्र दोनों ही सरपत की तरह बढ़ती जा रही थी , कारण भी यही था कि रंगलाल अब शहर आकर ऑटो-रिक्शा चलाने लगा। शहर में दूसरे बच्चों को देख रंगलाल के मन में भी अपने अभिलाष को वो सारी सुख सुविधा दे सके और उसे अच्छे से पढा-लिखा कर कुछ बनाने के सपने को और मजबूती मिलने लगी , खैर ये कोई नई बात नहीं है किसी भी पिता के लिए। कुछ दिन बात रंगलाल अपने गाँव की छोटी सी जमीन को भी बेच दिया और अपने परिवार को शहर लेकर कर आया और समाज के दूसरे वर्ग की भाँति shanty town में रहने लगा । रंगलाल ऑटो चलाता , उसकी पत्नी (साधना) लोगों के घरों में बर्तन धुलने तथा अभिलाष चौराहे पर खड़ी गाड़ियों के शीशे साफ करने का काम करते जिसके फलस्वरूप कुछ पैसे इक्कठा होते जिसे ये जमा कर करते। रोज़-रोज़ सड़क पर अभिलाष अपने उम्र के बच्चों को अच्छे-अच्छे कपड़ो में, रंग-बिरंगे बैग , पॉलिश किये हुए चमकते जूते और हाथ मे पानी की बोतल लेकर स्कूल जात...